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أتــظـــــن أنــك ســـاحـلى |
وتـظـنـنــى الـبـحر الصغــيـر |
وتـظـــــن أنـى فـى سـمــا |
ئــــك دائـــمــا أبـــدا أطــيـر |
وتــظــــن أنــى يــا هـمـــا |
م بــظــل حـصـنـك أســتجـير |
أتـظــــــن أنــى الــريـح تســـــــــ |
ــــــــكــن عـنـد بـــابــك لا تــــدور |
هـيـا أفــــق أنــا لــست من |
تـلـقـــاه مـــســجــونــا أسـير |
فـى إثـر خـطـوك دائــمـــا |
وكــأنــه ظــــــل يــــســيــــر |
أنــــا لـســــت تــمـثالا بلا |
عـــقـــل ولا قـــلـــب حـقــــير |
بــل إنــنــى روح وإحـــــــــــــــــــــ |
ــــســاس وفــكــــر مـــســتـنـيـر |
كـــنـســيــم لـــيــل هـــادىء |
نـــفــــســـى ولــكـنـى أثــــور |
إن نــلــتــنـــى بـــإســـــاءة |
مـتعـمـدا جــــــرح الـــشـعـور |
فــالآن دعــــك مـــن الـتـجـا |
هــــل والــتــــكــابـر يــا كــبـيـر |
وعــــلام يـــعــلــو الــصـــو |
ت إنى قد مللت صدى الصخور |
وكــفــاك تــمــزيـــقــــا لأحـــــــــ |
ـــــلامـــى وطــعــنــا فى الصدور |
وكـــفــاك تــحــطـيــمــا لإحـــــــــــ |
ـــــساســى وهـــدمــــا للــجــسور |
قـــد كــنــت بــحـرا قــبـل أن |
يــتــجــمــد الـحـــس الـبــصـيـر |
مــن قــبــل أن يــمحى ندى ال |
أزهــار كـنـت أنــا الــعـبـيـــــر |
أنــت الــذى نــقــض الــعـهـــو |
د أجـــــاد تـــعـقــيــد الأمــــور |
وقــتــــلــت فــــى قـــلـبـى الحنيــــــ |
ــــن فــلــــم يـــعــد قــلـبـى صبور |
والآن تـــطـــلــب أن أعـــــــــو |
د لـتـكــتــب الـسـطــر الأخــيـر |
ســـأعــــود إن عــــاد الــــنـــدى |
للــزهــر وامـتــلأت بـحــــور |
إن عــدت لــى شــمــســا تـضــم |
م الأرض فـــى كــل الـعـصـور |
ســــأعـــود بــدرا فـــى سمـــــــا |
ئـــك لا يـكــف عــن الـظــهــور |
إن لــــم يــكــن للــشــمـــس ضـو |
ء لــم يــكــن لـلــبــدر نــــــــور |